Feb 24, 2010

मेरी कुछ कविताँए.

ये जिंदगी इक पहेली सी है,
सुलझाने जाओ, तो और उलझ रही है

कुछ समझ नही आ रहा क्या करे इसका,
कुछ तो बात बने, ये तो बस बिगड रही है

कुछ तो हो जिसे देख जी बहलाए,
यहां तो दूर दूर तक रेगिस्ताँ नजर आ रहा है

कुछ तो मकसद होगा इन मुसिबतों का,
यूही नही किसीने राह मे काँटे बिछां रखें है.

-सौरभ

I dedicate my poems/kavita to my favorite writer Paulo Coelho, who's writings inspire me & other millions of people.


No comments:

Post a Comment