ये जिंदगी इक पहेली सी है,
सुलझाने जाओ, तो और उलझ रही है
कुछ समझ नही आ रहा क्या करे इसका,
कुछ तो बात बने, ये तो बस बिगड रही है
कुछ तो हो जिसे देख जी बहलाए,
यहां तो दूर दूर तक रेगिस्ताँ नजर आ रहा है
कुछ तो मकसद होगा इन मुसिबतों का,
यूही नही किसीने राह मे काँटे बिछां रखें है.
-सौरभ
-सौरभ
I dedicate my poems/kavita to my favorite writer Paulo Coelho, who's writings inspire me & other millions of people.
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