Feb 26, 2010

मेरी कुछ कविताँए - 3

पुरी कायनात ने जब, साजिश की
तब जाके आपसे मुलाकात हुई

कहने को तो सबकुछ था
पर शायद आपकी ही कमी थी

आपकी सादगी, हया, तकफ़्लुफ़
और उसपे आपका हुस्न

जो आपको पहली बार देखा
तो कंबख्त रात भर सो न सके

आपके ही खयालोंमे बस
करवटें बदलते रहे

आपकी हसींन अदाओंने 
इतना गहरां असर छोडा

की लफ़्जें बयाँ करना भी मुश्किल हैं

- सौरभ



                   कवीश्रेष्ठ "कुसुमाग्रज" उर्फ़ वि.वा. शिरवाडकर यांना समर्पित.

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